सेकेंड हैंड जूते (हिंदी हॉरर स्टोरी)

मैं उस दिन OLX पर पुराना फ़र्निचर ढूँढ रहा था। लेकिन सोफ़ सैट देखते देखते मेरी नज़र अचानक एक और लिस्टिंग पर गयी।

लिस्टिंग में लैदर के एक जोड़ी खूबसूरत जूतों की तस्वीर थी। लिखा था, 'Genuine Leather Shoes (Barely Used)' - क़ीमत थी, सिर्फ़ 500 रुपए।

"हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती" ये बात ना जाने कितनी बार सुनी और पढ़ी थी। लेकिन 500 रुपए? इतने की तो एक Starbucks में एक कॉफ़ी आ जाती है। थोड़ी देर तक उस लिस्टिंग को और उन जूतों को घूरता रहा, और फिर नीचे दिए नम्बर पर Whatsapp से एक message कर दिया।

तुरंत दूसरी तरफ़ से जवाब आया। "आपको जूते लेने हैं?"

मैंने हाँ लिखा, तो सामने वाले ने किसी कैफ़े में मिलने के लिए बुलाया। शर्त केवल एक थी, रुपए उसे नक़द चाहिए थे। मैं राज़ी हो गया।

अगले दिन, मैं उस बताए कैफ़े में पहुँचा जहां एक 30-35 साल की लड़की मेरा इंतज़ार कर रही थी। मैं देख कर हैरान था की यह एक लड़की है। जबकि जूते तो मर्दों वाले थे। लड़की को देख कर लग रहा था मानो सीधी बिस्तर से उठ कर चली आ रही हो। बिखरे बिखरे से बाल, आँखों के नीचे काले गड्ढे। क्या ये सोई नहीं है? कब से?

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स्वप्निल नरेंद्र

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स्वप्निल नरेंद्र

हिंदी हॉरर लेखक