ना जाने ये घर कब से ख़ाली पड़ा है। मानो कितने सालों से कोई यहाँ नहीं रहा हो। घर की दीवारों से सूख कर लटकती पपड़ी, और टूटे खिड़की के काँच बताते हैं की शायद कोई तो चीज़ इस घर से बाहर निकलने की कोशिश कर रही है।
घर की अलमारियों के खुले पल्ले देख कर एहसास होता है कि कोई इस घर से बड़ी जल्दी में भाग कर गया है। लेकिन आज, इस घर का इंतज़ार ख़त्म होने वाला है। एक ज़ोर की आवाज़ के साथ घर का मेन गेट खुला और दो परछाइयों ने घर के अंदर प्रवेश किया।
पहला, एक नाटा आदमी लंगड़ाता हुआ, जो घर में घुसने के पहले से ही घर की शान में क़सीदे पढ़े जा रहा था। यह ब्रोकर है। "ये घर आपको हंडरेड परसेंट पसंद आएगा।" वो बोला।
और ब्रोकर के पीछे पीछे घर में घुसा, चेहरे पर थकान, टी शर्ट में पसीना और आँखों में ढेर सारी उम्मीदें लिए चेतन, जो उस ख़ाली फ़्लैट के हर एक कोने को बड़ी बारीकी से देख रहा था। यूँ तो वो इस घर में पहली बार आया था पर पता नहीं क्यूँ, उसे इस घर में एक अजीब से अपनेपन का एहसास हो रहा था। मानो वो घर चेतन को जनता हो।
ब्रोकर अभी भी फ़्लैट चालीसा गाए जा रहा था, पर चेतन इतनी देर में अपना मन बना चुका था। सो वो ब्रोकर की तरफ़ मुड़ा और बोला, “मुझे ये घर पसंद है।”
ब्रोकर ने भी बिजली की फ़ुर्ती से घर की चाबी चेतन के सामने लटकाते हुए कहा, “बस, अब आप यहीं रहेंगे।” चेतन हंसा, "बिना अग्रीमेंट के चाबी? मैं भाग गया तो?"
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